गाँव का इतिहास

गाँव मलियावास के पूर्वज साथ लगते गाँव बिरोहॅड से आए थे| इस गाँव मे सर्वप्रथम मलिया नाम का व्यक्ति आकर बसा था इसलिए इस गाँव का नाम मलियावास पड़ा| वह अपने परिवार सहित करीब 300 साल पहले आकार बसे थे|  मालिया की अगली पीडी मे रूप चन्द हुए| करीब 200 साल पहले दादा लालू पुत्र श्री साहब राम ने पुर गाँव मे पीपल, बॅड, व नींम के पेड़ लगवाए व पूरे जीवन उनकी देखभाल की| अंतिम समय मे उन्होने गाँव वालो के बीच स्थित नींम के पेड़ को ना काटने की बात कही| उनकी मृत्यु उपरांत गाँव वालो ने उस नींम के वृक्ष के साथ अनेक नाम से मडी (पूजा स्थल) बना दिया| हर अमावस को लोग यहा पर परसाद चडाते है और मन्नत माँगते है गाँव वालो की आस्था है की ऐसा करने पर उनकी मनोकामना पूरी होती है |गाँव मे एक अन्य व्यक्ति कूरड़ा राम सामाजिक व्यक्ति हुए जिन्होने नोगामा से मालियावास कच्चे रास्ते पर अपने खेत मे कुआँ खुदवाया ताकि यात्रियो को पीने का पानी मिल सके तथा बॅड व पीपल के वृक्ष लगवाए ताकि यात्री उनकी छाया मे आराम कर सके|